Wednesday, February 9, 2011

Anjaane Pal

इतना कुछ गुज़र गया की एक सदी सा प्रतीत होता हैं
दिल कभी खुश तो कभी दुखी सा हो जाता हैं
जाने किस क्षण में जिंदगी यूं बदल सी जाये
पराये अपने और अपने पराये से बन जाये
हर लम्हे का इंतज़ार फिर भी ये दिल करता हैं
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.

इन खोये हुएँ लम्हों को आज मैं खुद में सिमट लुंगी
तुम्हारे अक्स में अपनी तमाम तनहाइयाँ छुपा लुंगी
तो क्या हुआ जो तुम लौट गए किसी और की यादों में
आँसूं बन के ही सही, तुम रहोगे हमेशा मेरी पलकों पे
तुम्हारे एहसास से मेरा रोम-रोम अभी भी सिहर जाता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.

वक़्त के फेरो में जिंदगी इस तरह अचानक आगे निकल गयी
की लगता है शायद मैं इस दौड़ में कहीं पीछे छूट गयी
जहाँ कभी दिल में एक उम्मीद की लौ जला करती थी
वहाँ अब उसकी सिमटी हुई कुछ धुंधली सी परछाई है
घबरायी हुई साँसों को दिल अब यूँ सहमते हुए पुकारता है
अनजाने पलों में जैसे कुछ जाना पहचाना सा ढूंढता हैं.